माननीय राज्यपाल महोदय ने आज डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक, शैक्षिक एवं परीक्षा भवन का उद्धघाटन किया

माननीय राज्यपाल महोदय ने

 आज डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी 

विश्वविद्यालय के नवनिर्मित

 प्रशासनिक, शैक्षिक एवं परीक्षा

 भवन का उद्धघाटन किया


दिनांक 16 नवंबर, 2022 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन, शैक्षिक भवन एवं परीक्षा भवन के उद्धघाटन के अवसर पर माननीय राज्यपाल-सह-झारखंड राज्य के कुलाधिपति महोदय का सम्बोधन: –

 डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के तीन नवनिर्मित भवन प्रशासनिक भवन, शैक्षिक भवन तथा परीक्षा भवन का लोकार्पण करते हुए मुझे असीम आनंद और खुशी हो रही है।

 मेरा हमेशा यह मानना है कि विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा सुलभ कराने की दिशा में शिक्षण संस्थानों में बेहतर वातावरण के साथ-साथ आधारभूत संरचनाओं का होना बहुत जरूरी है। किसी भी संस्थान की मौलिक संरचना का विकास एक उल्लेखनीय घटना होती है, क्योंकि यह साध्य की प्राप्ति का महत्वपूर्ण साधन होता है।

 आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के प्रशासनिक भवन, शैक्षिक भवन तथा परीक्षा भवन का आज लोकार्पण होना शिक्षा जगत के लिए बहुत ही सुखद दिन है। इसके लिये मैं सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ। ज्ञान का यह मंदिर नित-नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे, यही मेरी कामना है।

 जैसा कि आप सब जानते हैं कि राज्य की उच्च शिक्षा-व्यवस्था में सुधार लाने के लिये मैं निरंतर प्रयत्नशील हूँ। उच्च शिक्षा को गुणात्मक बनाने एवं इसमें व्यापक सुधार लाने के लिये मैं विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं राज्य सरकार के वरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करता हूँ। जहाँ कहीं भी समस्या होती है, उनके निराकरण का प्रयास करता हूँ।

 लेकिन समीक्षा के क्रम में यहाँ के शिक्षण संस्थानों की स्थिति को देखकर बहुत दुःख एवं आश्चर्य भी हुआ। शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमियाँ, विश्वविद्यालयों के महत्वपूर्ण पदों पर रिक्तियाँ, कॉलेजों में नियमित प्राचार्य का न होना चिंता का विषय है। मेरी कोशिश है कि राज्य की शिक्षा का स्तर और ऊंचा हो और यहाँ के विश्वविद्यालयों का नाम देश के नामी विश्वविद्यालयों में हो।

 आज का युग ज्ञान आधारित युग है और शिक्षण संस्थान हमारे ज्ञान के केंद्र हैं। हमें राज्य में शिक्षा का ऐसा उच्च कोटि का वातावरण तैयार करना होगा कि यहाँ से सिर्फ विद्यार्थियों का पलायन ही न बंद हो बल्कि अन्य राज्यों से भी विद्यार्थी यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए उत्सुक हों।

 किसी भी व्यक्ति की सफलता में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा ही तरक्की का द्वार है। शिक्षा वह नहीं है, जो सिर्फ आपके सिलेबस को पूरा करे, नोट्स उपलब्ध करा दें, सूचनाएँ प्रदान करे और अच्छे अंक से डिग्री हासिल करा दे। मुझे आशा है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय को शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान बनाने के लिए अथक प्रयास करेंगे।

 मैंने देखा है कि अच्छे शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी जीवन में असफल हो जाते हैं और जिसे बहुत से लोग खराब शिक्षण संस्थान कहकर संबोधित करते हैं, वहाँ के भी कई विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच जाते हैं। विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों को शोध पत्रिकाओं का भी प्रकाशन करना चाहिए और विश्वविद्यालय को ज्ञान, अनुसंधान, विचार और प्रयोग का केंद्र बनना चाहिए।

 मेरा मानना है कि सच्ची एवं बेहतर शिक्षा वह है जो जीवन में ज्ञान, विनम्रता एवं योग्यता प्रदान करने के साथ-साथ नैतिकवान व देशभक्त नागरिक बनने की भी प्रेरणा देती है। विद्यार्थियों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है और उनमें दूसरों की भलाई एवं समाजहित व राष्ट्रहित में हमेशा कार्य करने के लिए उत्साह का संचार करती है।

 मुझे आशा है कि हमारे राज्य के शिक्षक विद्यार्थियों को उनके बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए समर्पित भाव से शिक्षा सुलभ कराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और विद्यार्थियों को अपने जीवन में उच्च आदर्श को अपनाते हुए सफलता के पथ पर चलने के लिये प्रेरित करते रहेंगे।

 किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में मानव संसाधन का शिक्षित एवं ज्ञानवान होना बहुत जरूरी है। मानव संसाधन को शिक्षित एवं ज्ञानवान बनाने की अहम जिम्मेदारी हमारे शिक्षकों पर ही है। शिक्षकों के बिना किसी भी सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। समाज में सदा उनका उच्च स्थान रहा है एवं उन्हें बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। समाज को सही दिशा प्रदान करने की एक बड़ी जिम्मेदारी उन पर ही हैं। सही मायने में, शिक्षक समाज के पथ-प्रदर्शक हैं। हमें गर्व है कि हम जिस माटी से आते हैं, वह बुद्धि व ज्ञान की भूमि रही है।

 समय के साथ-साथ परिस्थितियाँ भी बदल गई है, हमारे यहाँ के विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिये विदेश जाना चाहते हैं। हमें लोगों कि इस मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। विद्यार्थियों को अपने ही देश में उच्च शिक्षा अर्जित करने के लिये प्रेरित करना होगा। साथ ही साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना होगा। इसके लिये शिक्षकों को भी कठोर परिश्रम करने की जरूरत है। उन्हें छात्रहित में पूरी तरह समर्पित रहने की आवश्यकता है। उनकी वास्तविक सफलता विद्यार्थियों की सफलता पर ही निर्भर है।

 किसी भी शिक्षक का गौरव तब और भी बढ़ जाता है, जब उसके विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर समाज में मान-सम्मान हासिल करते हैं और देश का नाम रौशन करते हैं। कहीं-न-कहीं विद्यार्थियों की सफलता से ही विश्वविद्यालय की पहचान होती है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के समक्ष नई शिक्षा नीति प्रस्तुत की गई है ताकि हमारे विद्यार्थी भाषायी कारणों से पीछे नहीं रहे और वे अपने रुचि के विषयों का गंभीरता से अध्ययन कर सकें।

 यह कहते हुए मुझे खुशी हो रही है कि यह शिक्षण संस्थान झारखंड के बहुत पुराने और गौरवशाली शिक्षण संस्थानों में प्रमुख है। यहाँ के शिक्षकों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा से शिक्षा, प्रशासन, राजनीति एवं अन्य विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल की है।

 महान व्यक्तित्व डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय से अपेक्षा है कि यह शिक्षा के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करेगा। शिक्षक विद्यार्थियों को इनोवेटिव बनने के साथ शोध कार्यों के प्रति जागृत करें एवं समाजिक कार्यों के प्रति रुचि रखने के लिये भी प्रेरित करें।

 विश्वविद्यालय को ज्ञान, अनुसंधान, विचार का प्रमुख केन्द्र बनना चाहिए। यह विश्वविद्यालय शिक्षा का ऐसा वातावरण स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हों कि झारखंड राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उत्कृष्ट विश्वविद्यालय के रूप में इसकी गणना हो।

 एक बार पुनः आप सभी को इन भवनों के लिये बधाई व शुभकामनायें।

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