झारखंड के कार्मिक विभाग के सचिव श्री एक्का साहब से आग्रह: भाषा और संस्कृति विभाग के कर्मचारी निजी स्वार्थ में यहां के संस्कृति बर्बाद कर रहे हैं

झारखंड के कार्मिक विभाग के

 सचिव श्री एक्का साहब से आग्रह: 

भाषा और संस्कृति विभाग के 

कर्मचारी निजी स्वार्थ में यहां 

के संस्कृति बर्बाद कर रहे हैं


झारखंड संस्कार दीप के लिए प्रेम शंकर साहु की रिपोर्ट:झारखंड के कार्मिक विभाग के सचिव एक्का साहब से आग्रह है ,ऐसे कर्मचारी जो राज्य के भाषा और संस्कृति विभाग में निजी स्वार्थ के कारण कदाचार को बढ़ाये हुए हैं , जिससे यहां की मूल संस्कृति को आघात पहुंच रहा है,उनपर कार्रवाही हो,क्योंकि झारखंड राज्य का गठन भाषा और संस्कृति के आधार पर हुआ है। जो कि यहां की संस्कृति पर आघात यहां के लोग बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। झारखंड सरकार के कला संस्कृति खेल कुद- युवा कार्य विभाग में विगत आठ वर्षों से पद स्थापित शाखा पदाधिकारी विवेक कुमार सिंह ने तो हद ही कर दी है ,जो नीजी स्वार्थ के कारण लोक कला जतरा जैसे कार्यक्रम को प्रभात तारा मैदान धुर्वा रांची में करके लाखों रूपयों का नाश कर दिया , जहां 100 दल अपनी कला का प्रस्तुति देते हैं और दर्शकों के स्थान पर खुद प्रस्तुति देने वाले कलाकार ही खुद का कार्यक्रम देखते हैं ,जब कि मेला जतरा , ग्रामीण क्षेत्रों में लगता है , वहां के लिए आवेदन पर विवेक जी जैसे कर्मचारी नहीं चाहते हैं जिसके कारण से निदेशक महोदय अनभिज्ञ रहते हैं इस तरह यहां के लोक पारम्परिक जगहों पर सरकारी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित नहीं होकर , यहां के नागरिकों के साथ धोखा किया जाता रहा है । विवेक बाबु शायद विभाग में रहकर यहां के पारम्परिक गीत संगीत, नृत्य को खत्म करना चाहते हैं इसका ज्वलंत उदाहरण हाल ही में जगरनाथपुर रांची में देखा गया है जहां पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम से ज्यादा इन्होने क्लासिकल , आधुनिक एल्बंम गीत कार,एवं नृत्य आदि को प्राथमिकता दी। तथा इन्होंने कलाकारों कि महत्वाकांक्षी योजनाओं को बंद करके अपने नीजी लाभ वाले योजनाओं को संचालित करते आ रहे हैं इन्होंने सुबह सबेरे जैसी योजनाओं को जो प्रत्येक जिला के मुख्यालय में हर शनिवार को सुबह- सबेरे एवं शाम शनि परब कार्यक्रम संचालित होता था जिससे स्थानीय कलाकारों को रोजगार के साथ-साथ यहां की मूल संस्कृति की सुरक्षा हो रही थी ,साथ ही कलाकार सम्मान योजना के तहत प्रत्येक वर्ष विभीन्न कला- विधा के क्षेत्र के उत्कृष्ट कलाकारों का चयन कर सम्मानित किया जाता था , जिससे कला जगत से जुड़े लोगों के बीच परंपरा बच रहा था। साथ ही वृद्ध असहाय कलाकारों जैसी योजना का आज तक लागु नहीं करना, जिससे यहां के स्थानीय कलाकारों को पेंशन नहीं मिल पाना , झारखंड सरकार ने 4 वर्ष पूर्व ही पेंशन योजना लाई है लेकिन विवेक बाबु ने क्षेत्रीय कलाकारों से ईष्या के कारण शायद झारखंड के किसी भी कलाकार को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलता है।इस तरह के मानसिकता वाले व्यक्ति की कार्यकाल कि जांच होनी चाहिए और इतने लम्बे समय तक एक स्थान पर कैसे रूकें है इसपर भी मंथन हो और प्रभात तारा मैदान में आयोजित लोक कला जतरा 2023 पर आय -व्यय का जांच हो साथ ही जे .सी .ए .ए.से मिलकर क्या- क्या किये है उन्होंने उसपर भी जांच हो ,जब से जय कांत इनवार विभाग में जुड़े हैं केवल उनके रिश्तेदार भाई, बहन,साली, साढु, भगीना,एवं जे.सी.ए.ए.के सदस्य, कोषाध्यक्ष,उप सचिव, उपाध्यक्ष, सचिव खुद ,के नाम पर कार्यक्रम आवंटन होते आ रहा है और इन सब पर विवेक कुमार सिंह शाखा पदाधिकारी कि मिली भगत है ,इस पर जांच करते हुए विभागीय कार्रवाई हो , विवेक कुमार सिंह ने प्रमोशन न लेकर सांस्कृति विभाग में रहकर सरकारी खजाना का दुर -उपयोग किया है और एक संस्था को विशेष लाभ पहुंचाने और नीजी- लाभ के लिए झारखंड की संस्कृति को खत्म करने पर काम कर रहे हैं। विवेक बाबु और सहयोगी का जांच करते हुए विभागीय कार्यवाही हो । जिससे पारदर्शिता के तहत यहां की सांस्कृति को बचाया जा सके।

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