झारखण्ड हाईकोर्ट के फैसला
के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील
करने में असमर्थ गैर मान्यता प्राइवेट
स्कूलो को छः माह बाद बंद न करे
हेमन्त सरकार - रामप्रकाश तिवारी
राँची। झारखंड गैर सरकारी स्कूल संचालक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष श्री राम प्रकाश तिवारी ने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी एवं शिक्षा मंत्री श्री रामदास सोरेन जी से मांग करते हुए कहा है कि झारखंड हाई कोर्ट द्वारा किए गए फैसले के बाद झारखंड राज्य के सभी डेढ़ लाख गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों एवं शिक्षकों शिक्षिकाओं,कर्मचारियों में भय व्याप्त हो गया है कि झारखंड हाई कोर्ट द्वारा दिए गए छः महीने का मोहलत समाप्त होने के बाद एक भी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूल को बंद न करें।
संघ के केंद्रीय अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री का ध्यान दिलाते हूए कहा है कि कोरोना वायरस फैलने के कारण लगभग दो वर्षो तक केंद्र सरकार एवं झारखण्ड सरकार के दिशा निर्देश पर सभी सरकारी स्कूलों एवं प्राइवेट स्कूलों को बंद रखा गया जिसके कारण लगभग डेढ़ लाख गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों की आर्थिक स्थिति डंवाडोल हो गया है जिसके कारण इन चार वर्षो के दौरान झारखण्ड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार( प्रथम संशोधन) नियमावली-2019 के सभी निर्धारित मानको, शर्तो को पुरा करने में असमर्थ है यहां तक झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दिनांक- 2 मई 2025 को किए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने में आर्थिक रूप से कमजोर है यहां तक गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधको के पास स्कूल चलाने के लिए आर्थिक क्षमता कमजोर हो गई है। स्कूल भवन का किराया देने के लिए और शिक्षकों,कर्मचारियों को वेतन, भत्ता देने में असमर्थ है।आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि बिजली बिल, वाटर टैक्स, होल्डिंग टैक्स तक देने में भी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूल प्रबंधक गण असमर्थ हो गए है।यदि सरकार गैर मान्यता स्कूलों को छःमाह बाद बंद करती है तो लाखो शिक्षकों शिक्षिकाओं, कर्मचारियों स्कूल के मालिकों के परिवारों के समक्ष भूखमरी की दयनीय स्थिति उत्पन्न हो जायेगी, भंयकर बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जायेगी।संघ के केंद्रीय अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री श्री मांग करते हुए कहा है कि झारखंड राज्य के डेढ़ लाख गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों एवं प्ले स्कूलों के लाखो शिक्षकों शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों, स्कूल के मालिकों के रोजी रोजगार बचाने के साथ लाखो गरीब आदिवासी दलित पिछड़े अल्पसंख्यक बच्चों बच्चियों के शैक्षणिक भविष्य को ध्यान में रखते हूए तत्काल झारखण्ड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा प्रथम संशोधन नियमावली -2019 के कड़े नियमो, मानको, शर्तो को हटाकर बिना शर्त मान्यता देने के लिए क्रांतिकारी काम करें।
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