पूरे भारत में मतदाता सूची का
विशेष गहन पुनरीक्षण होगा-
बिहार में चौकाने वाले आंकड़े
आए 3.5 लाख मतदाताओं के
नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू
बिहार में 2003 की मतदाता सूची को प्रमाणिक आधार माना- संभावित 2.93 करोड़ वर्तमान मतदाताओं पर असर पड़ने की संभावना?
पूरे भारत की मतदाता सूचियों में संभवतःकरोड़ों मतदाताओं के नाम मृत्यु,एक से अधिक सूचियां में नाम दर्ज, जाली प्रमाण व आधार के कारण हटाने से पारदर्शिता बढ़ेगी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोकतंत्र पर्व की चर्चाएं पूरी दुनियाँ में होतीरहती है,जो भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाती है, परंतु मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि, इस प्रतिष्ठा में निखार लाने के लिए इसकी त्रुटियां, लीकेजेस, जाली मतदाताओं को पहचान कर सुचियों का पुनरीक्षण,शुद्धिकरण करना समय की मांग है, जिसका क्रियान्वयन बिहार से शुरू हो चुका है जहां 2025 के अंत तक चुनाव होने की चर्चाएं चल रही है वैसे तो, इस तरह के बड़े पुनरीक्षण अभियान पहले भी कई बार हो चुके हैं,1950 के दशक से लेकर 2004 तक कई बार।लेकिन इस बार काअभियान दो वजहों से अलग है-पहली बार पहले से रजिस्टर्ड वोटर से ही दोबारा दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, और दूसरी बार आयोग ने खुद अपनी पुरानी वोटर लिस्ट की वैधता पर सवाल खड़ा कर दिया है। कुल मिलाकर, आने वाले दिनों में देशभर में वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है,और आम लोगों को फिर से खुद को साबित करने के लिए तैयार रहना होगा। चुनाव आयोग का कहना है कि शहरों मेंपलायन बढ़ा है, लोग एक जगह से दूसरी जगह बस जाते हैं, लेकिन पुराने पते से नाम नहीं हटवाते। इससे एक ही व्यक्ति के नाम दो जगह आ जाते हैं। इसी को ठीक करने के लिए वोटर लिस्ट को साफ किया जा रहा है। राजनीतिक दलों ने भी कई बार फर्जी वोटिंग की शिकायत की है। कांग्रेस नेता ने महाराष्ट्र में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। आयोग का कहना है कि इस तरह की समस्याओं को खत्म करने के लिए ही ये अभियान जरूरी है। बिहार में अब तक वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए 11 तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे थे। इनमें आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र और कुछ सरकारी पहचान पत्र शामिल थे। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ज्यादातर लोगों के पास सिर्फ आधार,राशन कार्ड और वोटर आईडी ही हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अब आयोग ने तीन दस्तावेज-आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड,को भी शामिल करने पर विचार किया है। ये दस्तावेज ज्यादातर लोगों के पास हैं,खासकरबिहार जैसे राज्यों में।बिहार में चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया है, जिसे लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।लेकिन इसी बीच आयोग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देश के बाकी सभी राज्यों को भी ऐसी ही तैयारी करने का निर्देश दे दिया है। आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि वे 1 जनवरी 2026 को आधार बनाकर मतदाता सूचियों को दोबारा खंगालने की तैयारी शुरू करें। यानी उस दिन तक 18 साल के हो चुके सभी नागरिकों का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए। हालांकि, इस पूरे अभियान की टाइमलाइन अभी तय नहीं हुई है चूँकि बिहार में 2003 की मतदाता सूचि को प्रमाणिक आधार मानकर संभावित 2.93 करोड़ वर्तमान मतदाताओं पर असर पड़ने की संभावना है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,पूरे भारत में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण होगा, बिहार में चौक़ाने वाले आंकड़े आए हैँ,35.5 लाख़, मतदाताओं के नाम संभव तो हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। संभवतः करोड़ों मतदाताओं के नाम मृत्यु, एक से अधिक सूचियां में नाम दर्ज, जाली प्रमाण व आधार के कारण हटाने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
साथियों बात अगर हम बिहार में चल रहे एसआईआर की करें तो 14 जुलाई 2025 को देर रात आई जानकारी के अनुसार, बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के तहत 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग के ताजे आंकडों के मुताबिक विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान अब तक 1.59 प्रतिशत मतदाता मृत पाए गए हैं जबकि 2.2 प्रतिशत मतदाता स्थायी रूप से अन्य स्थानों पर जा चुके हैं। इसके साथ ही 0.73 प्रतिशत व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं। जिनका कुल योग 4.52 फीसदी है। जो कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में 35.5 लाख हैं।सोमवार को चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार इस अभियान के तहत अबतक 83.66 प्रतिशत मतदाताओं के गणना फॉर्म जमा किए जा चुके हैं। कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 मतदाताओं के गणना फॉर्म जमा किए गए हैं। इस प्रकार, 88.18 पेर्सेंट मतदाताओं ने या तो गणना फॉर्म जमा कर दिया है, या मृत पाए गए हैं, या फिर एक स्थान पर नाम बरकरार रखा गया है अथवा स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं।अब केवल 11.82 प्रतिशत मतदाताओं द्वारा गणना फॉर्म जमा किया जाना शेष है। इनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेज़ों के साथ फॉर्म जमा करने के लिए समय मांगा है। 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख है। इसके बाद ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होगा। इसी सूची के आधार पर 2025 के चुनावों की मतदाता सूची तय होगी।चुनाव आयोग द्वारा विकसित किए गए प्लेटफॉर्म पर अब तक 5.74 करोड़ से अधिक फॉर्म अपलोड हो चुके हैं। प्लेटफॉर्म जो पहले की 40 चुनावी ऐप्स को समाहित कर एकीकृत किया गया है।अब ऑनलाइन फॉर्म भरने, नाम खोजने, और दस्तावेज सत्यापन के लिए उपयोग हो रहा है। अब तीसरे चरण में लगभग 1 लाख बीएलओ एक बार फिर घर-घर जाएंगे।सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट (बीएलओ) भी पूरी ताकत से लगे हुए हैं। प्रत्येक बूथ लेवल एजेंट प्रतिदिन 50 गणना पत्र तक जमा और प्रमाणित कर सकता है। 261 नगर निकायों के 5,683 वार्डों में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि कोई भी पात्र शहरी मतदाता सूची से बाहर न रहे ऐसा पूरा प्रयास हो रहा है।
साथियों बात अगर हम पूरे भारत में एसआईआर लागू करने की करें तो,फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उनमें अगले दो सालों में इसे चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों में लेकर वह जाएगा। जिसकी शुरूआत अगले महीने से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल सहित पांच राज्यों से हो सकती है। इन सभी राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव भी है। इस पूरे अभियान को लेकर सबसे ज़्यादा डर हाशिए पर जी रहे लोगों में है। ईबीसी, दलित, मुसलमान और गरीब तबके के लोग डरे हुए हैं कि कहीं उनका नाम ही न कट जाए। कुछ इसे “पीछे से लाया गया एनआरसी” कह रहे हैं। मतलब बिना सीधे कहे नागरिकता की जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में इस प्रक्रिया को रोकने से तो मना कर दिया, लेकिन चिंता जताई कि कहीं चुनाव से पहले किसी का नाम लिस्ट से हट गया, तो उसका वोट देने का अधिकार ही छिन जाएगा। कोर्ट ने आयोग को सुझाव दिया कि दस्तावेज़ी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पूरे भारत में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण होगा-बिहार में चौकाने वाले आंकड़े आए 3.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया शुरूबिहार में 2003 की मतदाता सूची को प्रमाणिक आधार माना- संभावित 2.93 करोड़ वर्तमान मतदाताओं पर असर पड़ने की संभावना?पूरे भारत की मतदाता सूचियों में संभवतःकरोड़ों मतदाताओं के नाम मृत्यु, एक से अधिक सूचियां में नाम दर्ज, जाली प्रमाण व आधार के कारण हटाने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465
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