अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के 164वां
शहादत दिवस ऐतिहासिक ठाकुर निवास बडकागढ़
जगन्नाथपुर, शहादत स्मारक स्तंभ हटिया और एच
ई सी गोलचक्कर में मनाया जाएगा:
"शहीदों के चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मर
मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा"
16 अप्रैल 1858 इतिहास के वो स्वर्णिम दिन है जब ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने पूरे अविभाजित बिहार (वर्तमान झारखंड) में अंग्रेजी सत्ता की न्यू को हिला कर रख दिया था । अपने मातृभूमि की आजादी के खातिर अंग्रेजो से लड़ते लड़ते फंसी पर चढ़ गए और हम सबके लिए अमर हो गए।
16 अप्रैल को प्रतेक वर्ष ऐतिहासिक ठाकुर निवास बड़कागढ़ जगन्नाथपुर में दिन के 9:00 बजे उनके आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की जाएगी । उसके उपरांत दिन के 9:30 बजे शहादत स्मारक स्तंभ हटिया में मनाया जाएगा । उसके बाद दिन के 10:00 बजे एच ई सी गोलचक्कर में मनाया जाएगा।
विदित हो कि प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857-58 ईस्वी के बड़कागढ़ ईस्टेट के राजा ने अंग्रेजी शासन की जड़ को हिला कर रख दिया था । अंग्रेजों ने छ: माह तक बड़कागढ़ ईस्टेट में शासन नहीं कर सके और पूरा छोटानागपुर को स्वतंत्र घोषित कर दिया। ठाकुर के खौफ से कैप्टन ई.टी.डाल्टन ने छोटानागपुर को छोड़कर भाग खड़ा हुआ और बगोदर होते हुए डाल्टेनगंज (मेदनीनगर) में जाकर छिप गया ,परंतु 6 माह तक इसने षडयंत्र करना नहीं छोड़ा । इसने बड़कागढ ईस्टेट के राजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के खास लोगों को तोड़ने में लगा रहा। पिठोरिया का जमींदार जगतपाल सिंह को अपने पक्ष में मिलाकर ,पुन: बड़कागढ़ ईस्टेट पर धावा बोल दिया। उस समय बड़कागढ ईस्टेट के राजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने पूरा छोटानागपुर को स्वतंत्र घोषित कर, डोरण्डा छावनी के सिपाहियों के मुखिया माधव सिंह को मिलाकर,डोरण्डा से ही शासन का बागडोर संभाला और गवर्नर के हैसियत से पूरे छोटानागपुर का शासन अपने हाथ में ले लिया साथ ही कचहरी डोरण्डा में ही स्थापित की। विद्रोहियों ने अंग्रेजों को सहयोग अब खुलकर कर दिया । षड्यंत्र के तहत कार्य किया जाने लगा और अंततः बड़कागढ रियासत के राजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को पकड़ लिया गया। इन्हें अपर बाजार स्थित जेल में रखा गया और बिना किसी ट्रायल किए आनन-फानन में 16 अप्रैल 1858 को प्रातः 5:30 बजे रांची जिला स्कूल के मुख्य द्वार पर (छोटानागपुर कॉरपोरेटिव बैंक) वर्तमान शहीद चौक रांची में फांसी दे दिया गया । बडकागढ़ की राजधानी हटिया में स्थित ठाकुर के किला चिरनागढ़़ को तोप से मारकर ध्वस्त कर दिया गया । ठाकुर साहब की धर्मपत्नी ठकुरानी बाणेश्वरी कुंवर की गोद में उस समय एकमात्र पुत्र (बड़कागढ़ उतराधिकार) जो 1 वर्ष का था ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव को लेकर रानी खोरहा जंगल (गुमला जिला) अपने विश्वस्त जनों के साथ भाग गई। रानी को पता था कि अंग्रेजी सरकार उन्हें एवं उनके पुत्र को मारने के लिए तत्पर हो गई है।रानी( ठकुरानी )बाणेश्वरी कुंवर को खोरहा ग्राम में 12 वर्षों तक निर्वासित जीवन व्यतीत किया। इधर अंग्रेज परेशान से हो गए, उन्हें पता चला कि रानी बाणेश्वरी कुंवर कहीं छिप गई है, वे महल के मलवों में खोजने पर भी नहीं मिली। रानी के कुछ दासी चिरनागढ़ के समीप स्थित रानी चूआं में छलांग लगाकर चिर निद्रा में सो गई।
अब बड़कागढ ईस्टेट का मांग करने वाले अंग्रेजों के पिट्ठू छोटानागपुर कमिश्नर कैप्टन एडवर्ड टूटी डाल्टन के समीप पहुंचे और उन्होंने करार किए गए शर्तों को रखी। ई.टी.डाल्टन ने उन्हें कहा कि आप लोग अंग्रेजी सरकार के मदद तहे दिल से किया है परंतु अभी तक अंग्रेजी सरकार को ठाकुर साहब की पत्नी और उसका एकमात्र पुत्र का पता नहीं चल सका है ।
इधर 12 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद ठकुरानी बाणेश्वरी कुवंर अपने पुत्र जो (हिंदू मिताक्षराी कानून के तहत वयस्क हो गया था) को आगे कर अंग्रेजों के समक्ष प्रकट हो गई और अंग्रेजी सरकार से बड़कागढ ईस्टेट को वापस करने की मांग की परंतु अंग्रेजी सरकार ने बड़कागढ़ ईस्टेट का संचालन के लिए एक कमिटी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया इन काउंसिल बना दी थी ,यह कहते हुए कि जिन जागींरदारों का कोई बारिश नहीं होगा , वैसे जमीनदारी सीधे काउंसिल के तहत हो जाएगी, परंतु ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का वारिस था इसलिए अंग्रेजों ने कहा कि कौंसिल बड़कागढ़ ईस्टेट का केयरटेकर के रूप में कार्य करता रहेगा । अंग्रेजों ने व्यवस्था दिया कि बड़कागढ ईस्टेट से जो लगान सेक्रेटरी ऑफ ईस्टेट फोर इंडिया इन काउंसिल उगाही करती है, उसी में से जीविकोपार्जन के लिए ₹30 प्रति माह ठाकुरानी बाणेश्वरी कुवंर को दिया जाएगा और मौजा जगन्नाथपुर में मिट्टी का मकान ₹500 की लागत से निर्माण करा दी गई । इसी ठाकुर निवास बड़कागढ़ जगन्नाथपुर वर्तमान में इनके छठा पीढी के ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव अपने परिवार जनों के साथ निवास करते हैं ।
अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ सहदेव के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव ने अध्ययन केंद्र के माध्यम से सरकार से मांग करती रही है कि जल्द से जल्द झारखंड सेनानी कोश को पुनर्गठित कर झारखंड के तमाम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सदस्यता दी जाय, नहीं तो अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ अध्ययन केंद्र सरकार से अपने सम्मान के लिए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेगी। जिसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को उनका सम्मान और अधिकार प्राप्त हो सकेगा , साथ ही साथ शहीदों के वंशजों की बात सरकार तक पहुंच सके ।
सरकार से मांग करता हूं कि अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की 164 वां शहादत दिवस पर उनकी भूमि पर बने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नाम उनके नाम पर किया जाए। अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ के पुण्य तिथि पर आप सब का स्वागत करता हूं, आपसब आए और मातृ पुत्र को श्रद्धांजली अर्पित करें।
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