झारखंड युवा सदन तृतीय कायक्रम में
माननीय राज्यपाल का संबोधन
दिनांक 14 मई, 2022 को झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय एवं युवा सदन द्वारा आजादी दिनांक का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित ‘झारखंड युवा सदन : द यूथ एसेम्बली तृतीय’ कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल का सम्बोधन:-
Ø झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय एवं युवा सदन द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के इस कार्यक्रम में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।
Ø देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर पूरे देशभर में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। भारत का विश्व के मानचित्र पर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय यूँ ही सहज रूप से नहीं हुआ, हमें आजादी आसानी से नहीं मिली, स्वतंत्रता की एक लम्बी संघर्ष एवं पराक्रम की गाथा है।
Ø हमारे देश की आजादी उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, तपस्या व बलिदान का परिणाम है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
Ø आजादी का अमृत महोत्सव के तहत भारत सरकार द्वारा हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत कराने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में, हमें आजादी के उन महानायकों के योगदान से भी युवा व नई पीढ़ी को अवगत कराने की जरूरत है, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए ब्रिटिश हुकूमत से कड़ा संघर्ष किया, लेकिन पता नहीं किन कारणवश इतिहास की पुस्तकों में उनके योगदानों का उल्लेख नहीं हो सका।
Ø भारत माँ की भूमि वीरों की भूमि रही है, जहाँ हर जगह देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी गई, अंग्रेजों के विरूद्ध आंदोलन चले क्योंकि हमारे स्वतंत्रता सेनानी देश की आज़ादी के लिये प्रणबद्ध थे। वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के सभी महानायकों के योगदान से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
Ø क्या आपको मालूम है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे कई महान स्वतंत्रता सेनानी ने जब ब्रिटिश हुकूमत से देश की आजादी के लिए संघर्ष करना प्रारम्भ किया और आजादी के आंदोलन में भाग लिया, तो उनकी उम्र क्या थी? इन सबने अपनी युवा अवस्था में ही राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए स्वयं के सुख का त्याग किया। स्वतंत्रता आंदोलन में उस समय की युवा पीढ़ी के त्याग एवं बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे युवाओं ने देश की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
Ø हम सभी जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। आज भारत में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। यह एक ऐसा वर्ग है जो शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे अधिक शक्तिशाली है।
Ø देश को ऐसे युवा नेताओं की सख्त जरूरत है जो ऊर्जावान, उत्साही, नैतिक रूप से मजबूत और मेहनती हों। आधुनिक भारत के युवा बड़े पैमाने पर हमारे देश और दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं से अवगत हैं।
Ø खुशी की बात है कि आज भारत का युवा शिक्षित है। लेकिन युवाओं की संख्या राजनीति में अपेक्षित नहीं है। देश के युवाओं में राजनीति के प्रति उदासीनता को कम करना होगा।
Ø हमारा देश युवाओं का देश है। यहाँ की अधिकांश आबादी युवाओं की है और युवाओं पर ही विकास की गति निर्भर है। मेरा मत है कि हमारे युवाओं को देश के संविधान का अध्ययन करना चाहिए। वे सरकार द्वारा संचालित विभिन्न विकास व कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी रखें तथा आस-पास के लोगों को जागरूक कर इसका लाभ पहुँचाने की कोशिश करें।
Ø मेरा मानना है कि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए। अच्छे व जागरूक युवाओं का समाज में प्रतिष्ठित स्थान होता है। युवाओं को अपने दायित्वों से भागना नहीं चाहिये और सामाजिक समस्याओं के निदान के लिए सक्रिय होना चाहिए। जनहित के विषयों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए।
Ø अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी या फिर पुलिस अधिकारी बनाने की बात करते हैं। कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को अधिक-से-अधिक जानकारी हासिल करने के लिए अध्ययन करने नहीं कहता जिससे उनको देश के विभिन्न मुद्दों पर अधिक जानकारी होगी ताकि वे एक कुशल राजनेता एवं नीति-निर्माता बन सकें। हमें यह सामाजिक धारणा बदलनी होगी।
Ø आज विश्व में सबसे अधिक युवा शक्ति हमारे पास है। इस युवा शक्ति का हमें विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक सदुपयोग करना चाहिए। राजनीति को हमारे युवा जन-सेवा के रूप में लें। युवाओं का राजनीति के प्रति उदासीन रहना व रुचि ना लेना भी, उचित नहीं है। यदि आप अच्छे, जागरूक एवं पढ़े-लिखे युवा राजनीति से परहेज करेंगे तो क्या होगा? बाद में फिर कहेंगे कि देश की राजनीति अच्छी नहीं है।
Ø आपको राजनीति में आकर विभिन्न चुनौतियों को निकट से देखना चाहिये, कैसे जन-अपेक्षाओं को पूर्ण किया जाय, इस पर सोचना चाहिए, सामाजिक व आर्थिक रूप से पूरी तरह सशक्त भारत के हर चेहरे पर मुस्कान एवं उनके खुशहाल जीवन के लिए सोचना चाहिए।
Ø युवाओं की राजनीति में आने से की विभिन्न समस्याओं का निदान होगा। उनके अच्छे आचरण को देखकर अन्य युवा भी राजनीति में आने के लिए प्रेरित होंगे। युवाओं से कहना चाहता हूँ कि राजनीति में अगर आप अच्छा चाहते हैं, अपने विचार रखना चाहते हैं तो आपको इसमें आपको उतरना चाहिये। पढ़े-लिखे युवाओं के राजनीति में आने से देश का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।
Ø मैं मानता हूँ कि भारत का युवा सच में समझदार है। यह वास्तव में अच्छी और सकारात्मक बात है। हमें समय-समय पर अपने युवाओं का मार्गदर्शन करना होगा ताकि वे सही और गलत की पहचान कर सकें और देश को आगे प्रगति के पथ पर ले जाने में मदद कर सकें।
Ø भारत में वोट डालने वाला युवा भी अपने चुने हुए उम्मीदवार पर भरोसा नहीं करता है। आज के युवाओं को सिर्फ टार्गेट ओरिएंटेड बना दिया गया है। यानि आज के माता-पिता खुद नहीं चाहते कि उनका बेटा या बेटी अपने काम के अलावा देश के सामाजिक कार्यों में भी योगदान दें क्योंकि आज का माहौल ऐसा हो गया है कि हर कोई अपना भविष्य बनाने में ही लगा हुआ है। हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है।
Ø किसी भी प्रासंसिगक मुद्दे के बारे में आप जो महसूस करते हैं, उसके बारे में बात करने के लिए आपको सर्वश्रेष्ठ अकादमिक क्षमता प्रदर्शित करना चाहिए। इस प्रकार के प्रभावी मंच का पूरी तरह से उपयोग करने की जरूरत है।
Ø यदि पढ़े-लिखे व जागरूक युवा राजनीति में आने से परहेज करते हैं तो उन्हें राजनीतिज्ञों को कोसने का भी हक़ नहीं होना चाहिए। मैं एक किसान परिवार से आता हूँ, मैं भी खेती करता और खुश रहता। चाहता तो कह सकता था कि मुझे राजनीति में नहीं पड़ना। लेकिन लोगों की समस्याएं मुझसे देखी नहीं जाती थी। कहीं-न-कहीं शुरू से ही जन-सेवा का भाव मन में था और लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहता था और उनके निदान के लिए उत्सुक एवं सक्रिय रहता था।
Ø राजनीति में प्रवेश के बाद मैं पार्षद से लेकर रायपुर से 7 बार लोक सभा सांसद रहा। श्रद्धेय अटल जी की नेतृत्व वाली सरकार में केंद्र में मंत्री भी रहा और जो भी दायित्व मिला, उसको बखूबी निभाया। मैंने राजनीति को हमेशा समाजसेवा का एक सशक्त जरिया समझा। आज भी मेरी जीवनशैली वही है। लोगों से मिलना, उनकी समस्याओं को जानना तथा उसके निदान के लिए कार्य करना। जन-कल्याण एवं परोपकार ही मेरा सिद्धांत रहा है। राजनीतिक जीवन में मेरे द्वार जनता के लिए हमेशा खुले रहते हैं।
Ø पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की ही बात करें तो हम लोग पाते हैं कि बहुत ही कम उम्र में उन्होंने राजनीति प्रवेश किया। अटल जी ऐसे व्यक्तित्व थे, जो विपक्ष में रहते अपने विचार रखते थे तो उनकी बातों को पूरा सत्ता पक्ष गंभीरता से सुनता था। वे हमेशा जनहित के मुद्दों को काफी प्रभावी ढ़ंग से व्यक्त कर सबका ध्यान आकर्षित करते थे।
Ø इस अवसर पर मैं आप सभी से कहना चाहता हूँ कि आप लोग युवाओं को राजनीति के प्रति प्रेरित करें। उन्हें अपनी कार्यशैली से समझाएँ कि राजनीति समाजसेवा का एक सशक्त माध्यम है और अच्छे एवं पढ़े-लिखे युवाओं के राजनीति में आने से भारतीय राजनीति को एक नई दिशा मिल सकेगी तथा विश्वपटल पर हमारी राजनीतिक छवि और उत्कृष्ट होगी।
Ø एक बार पुनः इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।


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