बिहार में लोक पर्व 'सतुआनी' की धूम, सत्तू संग टिकोला का लिया आनंद

बिहार में लोक पर्व

 'सतुआनी' की धूम, सत्तू 

संग टिकोला का लिया आनंद



परंपराओं और लोक संस्कृति से जुड़ा पर्व पूरे उत्साह से मनाया गया

पटना/खगड़िया।

बिहार में सोमवार को पारंपरिक लोक पर्व 'सतुआनी' पूरे उत्साह, श्रद्धा और सांस्कृतिक उल्लास के साथ मनाया गया। प्रदेश भर में ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लोगों ने सत्तू, चटनी, आचार और टिकोला (कच्चे आम का पना) के साथ इस विशेष पर्व का आनंद उठाया।

सतुआनी, जो मुख्य रूप से सात्विकता, शुद्धता और लोक परंपराओं का प्रतीक है, गर्मी की शुरुआत में शरीर को ठंडक देने और पाचन को बेहतर बनाए रखने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस पर्व पर लोग आमतौर पर मकई, चना और जौ के सत्तू को प्याज, हरी मिर्च, नींबू और चटनी के साथ खाकर पर्व की मान्यता का पालन करते हैं।

सुबह से ही घर-घर में सत्तू तैयार किया गया और परिवार के सभी सदस्यों ने सामूहिक भोज के रूप में इस पारंपरिक व्यंजन का आनंद लिया। कई जगहों पर समाजसेवी संगठनों और पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सत्तू भोज का आयोजन भी किया गया, जहां ग्रामीण जन एक साथ बैठकर भाईचारे का संदेश देते दिखे।

वरिष्ठ लोक परंपरा विशेषज्ञों के अनुसार, सतुआनी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है, जो खान-पान, मौसमी संतुलन और सामाजिक समरसता से गहराई से जुड़ा है।

सतुआनी के अवसर पर पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े सन्देश भी दिए गए, जिसमें प्राकृतिक और देशज खाद्य सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने की अपील की गई।

रिपोर्ट: कृष्णा टेकरीवाल, खगड़िया (बिहार)

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