जब सईंयाँ भए कोतवाल,अब डर काहे का-भारत के वैश्विक जीरो टॉलरेंस आतंकवाद मुहिम को झटका?-पाक कोयूएनएससी आतंकवादरोधी समिति का उपाध्यक्ष व तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष चुना गया

जब सईंयाँ भए कोतवाल,अब 

डर काहे का-भारत के वैश्विक 

जीरो टॉलरेंस आतंकवाद मुहिम 

को झटका?-पाक कोयूएनएससी

 आतंकवादरोधी समिति का 

उपाध्यक्ष व तालिबान प्रतिबंध 

समिति का अध्यक्ष चुना गया




पाक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोहरी जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीतिक हार?या आतंकवादरोधी मुहिम को झटका?

पाक को यूएनएससी के दो आतंकवादीरोधी समितियों का अध्यक्ष,उपाध्यक्ष पद देना,वैश्विक आतंकवादरोधी ढांचे की विश्वसनीयता पर चिंता का विषय है-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ के देशों की गुटबाजी, छोटी-छोटी बातों पर घमासान,व एक दो देशों का वैश्विक लीडर बनने की चाहत से, कहीं विश्व का माहौल तो बिगड़ नहीं रहा है?क्योंकि रूस यूक्रेन इसराइल हमास थाईलैंड कंबोडिया भारत पाकिस्तान व अमेरिका ईरान कुछ खाड़ी देश तो इधर साउथ व नॉर्थ जापान सहित अनेको देशों क़े विवाद चल रहे हैं,मेरा मानना है कि कुछ छोटे देशों के पीछे कोई ताकत जरूर होगी जो उसे उकसा रही है या लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, अभी हाल ही में यूक्रेन द्वारा रूस में करीब 5000 किलोमीटर अंदर घुसकर ड्रोन हमलों से पांच एयरबेसों व एक बड़ी पुल तबाह करना मामूली बात नहीं है, इसके पीछे कौनसी ताक़त है, हम सब जानते हैं!आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि दिनांक 4 जून 2025 को देर शाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को यूएनएससी आतंकवादरोधी समिति का उपाध्यक्ष व तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बना दिया है, जिस पर भारत सहित पूरी दुनिया भौचकी रह गई है,यानें अब सईंयाँ भए कोतवाल तो अब डर काहे का?जिनको इस कहावत का अर्थ न मालूम हो वह जान लें कि इसका मतलब है कि जब घर का ही कोई आदमी पुलिस, प्रशासन या सरकार में अच्छे ओहदे पर हो तब आप नियम, कानून को ठेंगा दिखा कर कुछ भी पा सकते हैं ।
बता दें अभी अमेरिका ने दो दिन पूर्व ही 12 देशों की परमानेंट व 6 देशों की आंशिक लिस्ट जारी की है जो अमेरिका में नहीं जा सकते, मीडिया के अनुसार उसमें पाकिस्तान का भी नाम था पर एन मौके पर अंत में उसका नाम काट दिया गया और फिर आज नई लिस्ट जारी कर दी गई, दो समितियों के उच्च पोस्ट पर पाकिस्तान की नियुक्ति पर मैं खुद हैरान हूं।चूँकि पाक को यूएनएससी के दो आतंकवाद रोधी समितियों का अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद देना वैश्विक आतंकवादरोधी ढांचे की विश्वसनीयता पर चिंता का विषय है,तथा पाक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोहरीजिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीतिक हार?या आतंकवादरोधी मुहिम पर झटका है?इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,जब सईंयाँभए कोतवाल तो अब डर काहे का?भारत क़े वैश्विक जीरो टॉलरेंस आतंकवादरोधी मुहिम को झटका?पाकिस्तान को यूएनएससी आतंकवादीरोधी समिति का उपाध्यक्ष व तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष चुना गया!
साथियों बात अगर हम पाक को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए दो महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करने की करें तो, आतंक फैलाने वाले पाक को यूएनएससी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है पाक को मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। तालिबान प्रतिबंध समिति को 1988 समिति के तौर पर भी जाना जाता है। और आतंकवादरोधी समिति का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। दरअसल, पाक़ फ़िलहाल दो सालों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति का अस्थायी सदस्य है, अब उसे इसकी दो समितियों में जगह मिली है,यूएनएससी की आतंक-विरोधी समिति का क्या महत्व है?सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के छह अहम अंगों में से एक है, इस परिषद की प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय स्तरपर शांति और सुरक्षा बनाए रखना है, इसके कुल पांच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य हैं।स्थायी देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन का नाम शामिल है,बाकी के दस अस्थायी सदस्यों का चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा करती है, ये चुनाव दुनियाँ के अलग-अलग हिस्सों को प्रतिनिधित्व देने के हिसाब से तय किया गया है, जैसे- अफ़्रीकी और एशियाई देशों के लिए पांच सीटें तय हैं और एक सीट पूर्वी यूरोपीय देश के लिए, दो सीटें लातिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों के लिए रिज़र्व हैं,वहीं एक- एक सीट पश्चिमी यूरोपीय और किसी दूसरे क्षेत्र के देश को दी जाती है। बात आतंक-विरोधी समिति की करें तो ये समिति सीधे तौर पर वैश्विक आतंकवाद, चरमपंथ और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हैं। हालांकि, इन समितियों में पाकिस्तान क्या कर सकता है? तो बता दे, पाक बहुत सीमित स्तर तक ही कुछ कर पाएगा क्योंकि सभी फ़ैसले सर्वसम्मति से लिए जाते हैं, समिति का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अकेले कोई भी फ़ैसला नहीं ले सकता। परंतु पाकिस्तान काआतंकवादरोधी शीर्ष पदों पर होना ताजू की बात है।
साथियों बात अगर हम भारत में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाक को फंडिंग की करें तो,ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीते 9 मई को, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाक को बेलआउट पैकेज के रूप में एक अरब डॉलर की किश्त की मंज़ूरी दे दी,ऑपरेशन सिंदूर के ठीक बाद वर्ल्ड बैंक ने पाक को 40 बिलियन डॉलर देने का निर्णय लिया, फिर एशियन डेवलपमेंट बैंक ने पाक को 800 मिलियन डॉलर दिए,और अब 4 जून को पाक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष चुना गया,पाक के संदर्भ में हुई इन सभी डेवलपमेंट्स को कांग्रेस नेता ने सामने रखा है और भारत की विदेश नीति के पतन से जोड़कर देखा है, साथ ही उन्होंने वैश्विक समुदाय पर भी सवाल खड़े किए हैं वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष ने भी इस विषय पर अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं,उन्होंने कहा है कि पाकको संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय आंतकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त करना और तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाना दुर्भाग्यपूर्ण, ग़लत सूचना पर आधारित और अस्वीकार्य है। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए हमले के लिए भारत पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराता है,इससे पहले भी अलग-अलग मौक़ों पर, मसलन साल 2016 में उरी में भारतीय सैनिकों पर हमला, साल 2019 में पुलवामा में हुआ विस्फ़ोट या फिर साल 2008 में मुंबई के होटलों पर हुए हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया था, जबकि पाक इससे इनकार करता रहा है.भारत लंबे समय से खुद को 'आतंकवाद से पीड़ित' देश बताता रहा है और पाक पर सीमा पार आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाता रहा है,हाल ही में भारत और पाक के बीच हुए संघर्ष के बाद भारतीय सांसदों के सात अलग-अलग शिष्टमंडलों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का दौरा किया,पीआईबी की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, इस दौरे का मक़सद ऑपरेशन सिंदूर और सीमापार आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की निरंतर लड़ाई के बारे में सदस्य देशों को अवगत कराना था,जहां एक तरफ़ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के समक्ष सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश में जुटा था, वहीं दूसरी तरफ़ पाक को इसी यूएनएससी के आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष चुन लिया गया।एक अंग्रेज़ी अख़बार में डिप्लोमैटिक एडिटर ने लिखा है कि शायद इन्हीं कारणों से भारत में एक बिल्कुल ही असहजता की स्थिति नज़र आ रही है।
साथियों बात अगर हम अपनी नियुक्ति पर पाक पीएम की प्रतिक्रिया की करें तो,पाक इन नियुक्तियों को एक बड़ी जीत के रूप में पेश कर रहा है,पाक पीएम ने कहा है कि ये उनके देश के लिए बहुत गर्व की बात है, उन्होंने एक्स पर किए एक पोस्ट में लिखा है,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महत्वपूर्ण नियुक्तियां प्रमाणित करती हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी कोशिशों पर पूरा भरोसा है, वो इस बात को स्वीकारते हैं कि हम इस वैश्विक ख़तरे को मिटाने के लिए मज़बूती और अटूट प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं,आगे कहा कि पाक उन देशों में से एक है जो आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित हैं, आतंकवाद के कारण अब तक देश में90,हज़ार लोगों की जान जा चुकी है, देश को 150 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान हो चुका है, इस संकट से लड़ने में पाकिस्तान का बलिदान अद्वितीय रहा है,ऐसी ही मिलती-जुलती बातें पाक के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री पूर्व विदेश मंत्री जैसे नेताओं ने भी की हैं, पर भारत ने इसे लेकर खासी आपत्ति जताई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जब सईंयाँ भए कोतवाल,अब डर काहे का-भारत के वैश्विक जीरो टॉलरेंस आतंकवाद मुहिम को झटका?-पाक कोयूएनएससी आतंकवादरोधी समिति का उपाध्यक्ष व तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष चुना गया,पाक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोहरी जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीतिक हार? या आतंकवाद विरोधी मुहिम को झटका?पाक को यूएनएससी के दो आतंकवादी विरोधी समितियों का अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद देना, वैश्विक आतंकवादरोधी ढांचे की विश्वसनीयता पर चिंता काविषय है।


-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9356653465

Post a Comment

0 Comments