विश्व अंतरराष्ट्रीय न्याय
दिवस 17 जुलाई 2025:- न्याय,
जवाबदेही और मानव अधिकारों
के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक है
दुनियाँ की सरकारें प्रण करें:- अन्याय के नए रूपों को विफ़ल करेंगे, न्यायिक संस्थाओं को मज़बूत करेंगे व पीड़ितों को सशक्त बनाएंगे
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को अपराधियों के प्रत्यर्पण, आतंकवाद पनाहगार देशों का संज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय संदिग्ध अपराधियों को गिरफ्तार करने की शक्तियां देना समय की मांग- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर एक दो दशक से जिस तरह संगठित अपराधोंकी संख्या में अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय व स्थानीय समूह की गतिविधियों में वृद्धि हुई है इसे गंभीरता से रेखांकित करना समय की मांग है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि उनके संगठित अपराधों को अगर हम वर्तमान परिपेक्ष में देखें तो जांचएजेंसियों द्वारा आजकल अपराध की थ्योरी को अन्तर्राष्ट्रीय एंगल से जांच करने की थ्योरी भी अपनाई जाती है जिस तरह से वर्तमान में रूस- यूक्रेन इज़राइल हमास युद्ध,व अनेक देशों के स्थानीय लोकल स्तरोंपर मानवीय अधिकार हनन अपराध चर्चा में आ रहा है व विशेष रूप से युद्ध अपराध चर्चा में आया हैँ, युद्ध अपराध के लिए विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय मानक मौजूद हैं, सहित अनेक केसों की तारें विदेशों तक जुड़ी हुई है। एक आपराधिक संगठन को हम गिरोह,माफिया, भीड़, सिंडीकेट, अंडरवर्ल्ड या गैंग्लैंड भी कह सकतें है, जिसमें अनेक अपराध जैसे सफेदपोश अपराध, वित्तीय अपराध, राजनीतिक अपराध, युद्ध के अपराध सहित अनेक परिभाषित अपराधों को शामिल किया जा सकता है जो अंतरराष्ट्रीय कनेक्टेड होते हैं इसीलिए आज हम ऐसे अपराधों और न्याय पर चर्चा करेंगे जो अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में आते हैं उनके पीड़ितों को न्याय दिलाने, दुनियाँ भर में हो रहे गंभीर अपराधों पर रोक लगाने विश्व को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से सचेत रहने के प्रति जागरूक करने के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के आधार पर अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस 17 जुलाई 2025 के उपलक्ष में इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम आज की दुनिया में विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस 2025 की प्रासंगिकता की करें तो (1) राजनीतिक संघर्षों, युद्ध अपराधों और असंख्य मानवाधिकार उल्लंघनों के इस युग में, विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। (2)यह विश्वव्यापी स्तर पर एक पर्याप्त रूप से सुदृढ़ अंतर्राष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता की ओर ध्यानआकर्षित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए ज़िम्मेदार, बिना जवाबदेही के न बच सकें।(3) यूक्रेन, गाजा और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में उभर रहे संकटों को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय न्याय एक महत्वपूर्ण तंत्र है जो आम नागरिकों की रक्षा करता है और आगे होने वाले अत्याचारों को प्रभावी रूप से रोक सकता है।(4) यह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) जैसी संस्थाओं और न्याय प्रशासन में राज्यों के बीच सहयोग के महत्व को भी उजागर करता है। (5) ऐसे युग में जहाँ बहुपक्षवाद और कानून के शासन को बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, यह स्मरणोत्सव शांति, जवाबदेही और पीड़ितों के अधिकारों के प्रति वैश्विक निष्ठा की याद दिलाता है। (6) इसलिए यह एक ऐसी न्यायपूर्ण दुनिया की दिशा में प्रेरणा देता है जहाँ न्याय सीमाओं और राजनीतिक हितों से परे जाकरसख़्ती से लागू हो।
साथियों बात अगर हम विश्व अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाने के उद्देश्यों की करें तो, (1) विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उसे बढ़ावा देना तथा दुनिया में सबसे गंभीर अपराधों के लिए दंड से मुक्ति के विरुद्ध संघर्ष करना है (2) यह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) जैसे कानूनी तंत्रों के माध्यम से नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के कुख्यात अपराधियों को जवाबदेह बनाने की आवश्यकता पर बल देता है। (3) यह दिवस मानवाधिकारों की सुरक्षा, कानून के शासन को बनाए रखने और पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।(4) इसलिए यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सहयोग और ठोस अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचों के माध्यम से एक अधिक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष विश्व के निर्माण हेतु मिलकर काम करने की याद दिलाता है।
साथियों बात अगर हमअंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) को समझने की करें तो-परिचय (1) यह विश्व का पहला स्थायी, स्वतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण है जो उन व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है जिन्होंने अत्यंत गंभीर अपराध किए हों। (2) इसमें चार प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को सम्मिलित किया गया है-नरसंहार युद्ध संबंधी अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध तथाआक्रामकता से संबंधित अपराध। (3) इस न्यायालय का मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में स्थित है और यह जुलाई 2002 से कार्य कर रहा है। (4) भारत ने अभी तक रोम संविधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, अतः वह आईसीसी का सदस्य नहीं है। (5) भारत का मानना है कि आईसीसी की कुछ धाराएं उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता, सैन्य कार्रवाई और आंतरिक सुरक्षा नीतियों के लिए बाधक हो सकती हैं। (6) भारत यह भी आशंका जताता हैकि आईसीसी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के वीटोयुक्त देशों का अत्यधिक प्रभाव है, जिससे निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के ढांचे की करें तो,संयुक्त राष्ट्र सेसंबंधित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय द हेग में है। इस न्यायालय में 6 भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन, स्पेनिश, अरेबिक, चाइनीज) में सुनवाई होती है, लेकिन काम अंग्रेजी और फ्रेंच में ही होता है। इसके सदस्य देशों की संख्या 123 है। 17 जुलाई 1998 को इसकी स्थापना हुई थी, इसने 1 जुलाई 2002 से कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
साथियों बात अगर हम न्यायालय की ज़रूरत की करें तो अपराध की दुनिया पर लगाम लगाने के लिए न्यायालय की जरूरत पड़ती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व में न्याय दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना हुई थी।प्रतिवर्ष आज ही के दिन 17 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है। इसे आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्याय दिवस भी कहा जाता है। इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना हुई थी। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के प्रति जागरूक करना है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के क्रियाकल्प की करें तो, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय एक स्थाई और स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक ऑर्गेनाइजेशन है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानव अधिकारों के सबसे गंभीर उल्लंघन के आरोपियों को दंडित करने में सक्षम है। जिसमें नरसंहार का अपराध, अपराधों का युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराध शामिल है। अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय स्थापना तब हुई जब, राज्यों ने रोम में एक कानून को अपनाया इस की प्रतिमा को अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के संविधि के रूप में जाना जाता है। आईसीसी राष्ट्रीय अदालतों की जगह नहीं लेता है। लेकिन यह तब उपलब्ध होता है जब कोई देश जांच करने में सक्षम नहीं होता और अपराधियों पर यह मुकदमा चला सकता है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को अंतिम उपाय मानने की करें तो, अंतिम उपाय की अदालत के रूप में सेवा करने के इरादे से,आईसीसी मौजूदा राष्ट्रीय न्यायिकप्रणालियों का पूरक है और अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग तभी कर सकता है जब राष्ट्रीय अदालतें अनिच्छुक हों या अपराधियों पर मुकदमा चलाने में असमर्थ हों। इसमें सार्वभौमिक क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का अभाव है और यह केवल सदस्य राज्यों के भीतर किए गए अपराधों, सदस्य राज्यों के नागरिकों द्वारा किए गएअपराधों, या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा न्यायालय को संदर्भित स्थितियों में अपराधों की जांच और मुकदमा चला सकता है ।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस 17 जुलाई 2025:- न्याय जवाबदेही और मानव अधिकारों के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक हैदुनियाँ की सरकारें प्रण करें:- अन्याय के नए रूपों को विफ़ल करेंगे, न्यायिक संस्थाओं को मज़बूत करेंगे वपीड़ितों को सशक्त बनाएंगे।अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को अपराधियों के प्रत्यर्पण, आतंकवाद पनाहगार देशों का संज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय संदिग्ध अपराधियों को गिरफ्तार करने की शक्तियां देना समय की मांग हैँ।
-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465
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